और मजबूत हो आधार कार्ड का ढ़ांचा
- शरद गोयल
- Aug 27, 2024
- 3 min read
Updated: Sep 21, 2024
देश में Voter Id कार्ड के बाद दूसरी बार एक शक्तिशाली पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड की योजना को लागू किया गया । UIDAI नाम से एक अलग विभाग बनाया गया, जिसका कार्यवाहक देश की प्रतिष्ठित IT कंपनी Infosys के फाउंडर रहे नंदन निलोकरी को सौंपा गया और उस समय यह उम्मीद जताई गयी कि यह कार्ड देश के सभी नागरिकों का एक विशिष्ट(एक मात्र) पहचान पत्र होगा जो सभी नागरिकों के पास होगा और उनकी पहचान के लिए सभी विभागों इत्यादि में इस्तेमाल किया जायेगा। जिस भी कार्य के लिए नागरिकों को अपनी पहचान दिखने की आवश्यकता होगी। उस कार्य व विभाग में उस कार्ड को सर्वोपरि माना जायेगा। इतना ही नहीं उस समय 29 सितम्बर 2010 को जब यह योजना लागू की गयी इस कार्य के लिए लगभग बहुत ही भारी भरकम 11 हजार 366 करोड़ रूपये का बजट रखा गया जोकि आजकल ओर ज्यादा बढ़ चुका है।
इस योजना के लागू होने के लगभग 14 साल बाद भी शत प्रतिशत लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है। 2 साल में लगभग 200 करोड़ वैक्सीन के टीके लगाने वाले देश में 14 साल में शत प्रतिशत आबादी के पास Unique Id card नहीं है और एक बहुत बड़े वर्क के पास duplicate पहचान पत्र भी है। माने तो पिछले 5 साल में 3 लाख 55 हजार 884 करोड़ के करीब फर्जी आधार कार्ड भिन्न-भिन्न एजेंसियों द्वारा पकड़े गये है और सच्चाई की बात करे तो देश भर में फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले लोगों का एक जाल सा फ़ैल रहा है। हालाँकि आये दिन पुलिस स्थानीय प्रशासन और भिन्न-भिन्न एजेंसियां इनकी धर-पकड़ भी करती है। लेकिन फिर भी देश में आज इतने फर्जी आधार कार्ड फैले हुए है। इनका अंदाजा लगाना ना-मुमकिन है।
दरअसल तो आधार कार्ड शुरू से ही विवादों में बना रहा। सरकारों ने समय-समय पर भिन्न-भिन्न सरकारी औपचारिकतायें और सरकारी योजनाओं में लाभार्थी के पास आधार कार्ड होने आवश्यक कर दिया। किन्तु समय-समय पर इसको लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाओं के माध्यम से आधार को बैंक अकाउंट जैसी औपचारिकताओं से जोड़ने को नागरिक की निजिता में खलल बताया। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि आधार को सभी योजनाओं से लिंक करने का नागरिक का डाटा एक-दूसरी चीजों से लिंक हो जायेगा जोकि उसकी निजिता में दखलअंदाजी कहलाएगी और यह संविधान के अनुछेद 21 “Right to Privacy” के तहत विरुद्ध है। समय-समय पर आधार के इस्तेमाल को लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय में बहुत से याचिकाएं दाखिल की गयी और भिन्न-भिन्न समय पर आधार के इस्तेमाल को माननीय उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया क्योंकि सभी सरकारी और गैर सरकारी विभागों में इस्तेमाल को जरुरी नहीं ठहराया गया था। इस कारण से सरकारी व गैर सरकारी विभागों ने स्वयं ही इसकी उपयोगिता निर्धारित कर ली। परिणाम यह हुआ कि आज बहुत से कार्य, योजनाएं व सरकारी औपचारिकताये है। जिसमे आधार कार्ड आवश्यक नहीं है। दूसरी तरफ किसी व्यक्ति द्वारा दिखाया गया आधार कार्ड असली है या नक्ल्ली। इसको तुरंत जांच करने का कोई साधारण तरीका नहीं बनाया गया। हालाँकि विभाग ने आधार कार्ड की सत्तता को जानने के लिए “M-AADHAR” के नाम से एक APP बनाई जिसमे आधार नंबर डालकर आप सम्बंधित आधार की सत्तता को जान सकते है। किन्तु जानकारी के आभाव में व APP के Software का यूजर फ्रेंडली ना होने के कारण फर्जी आधार का पकड़ा जाना शत प्रतिशत संभव नहीं है। एक यही उपाय काफी नहीं रहेगा फर्जी आधार पकड़ने का इस के साथ-साथ सभी महत्वपूर्ण स्थानों बैंक, न्यायालय, पुलिस स्टेशन और डाकघर पर इस प्रकार की मशीन लगी होनी चाहिए। जिसको स्कैन करने से कार्ड होल्डर की साड़ी डिटेल आ जाये। यहाँ तक कि वो किस इनकम ग्रुप का है, किस ऐज ग्रुप का है यह सूचना एक ही आधार कार्ड से मिल जाए।
सही में तो आधार को इतना शक्तिशाली यंत्र बनाया जाए कि उसके बाद अन्य कार्ड की आवश्यकता न हो फिर वो चाहे वोटर कार्ड हो या पैन कार्ड हो और परिवार पहचान पत्र की तरह का कोई और कार्ड हो । दुनिया के बहुत से देशों में इस प्रकार के पहचान पत्र अनिवार्य है जो यूनिक होते है और उनके रहते अन्य किसी पहचान पत्र को आवश्यकता नहीं होती है और व्यक्ति की पूर्ण जानकारी उस पहचान पत्र में होती है। आधार को बनाने का पूर्ण उद्देश्य तभी सफल होगा जब आधार कार्ड पूरी सत्तता का प्रमाण हो जाएगा। आधार कार्ड के बाद किसी अन्य पहचान पत्र की आवश्यकता नहीं रहेगी। मेरा मानना है आधार की सत्तता और आधार को बनाने में देश भक्ति आन्दोलन चलना चाहिए साथ ही साथ आधार में नकली आधार कार्ड बने इस पर पूरा शोध भी करना होगा इससे सभी प्रकार के अपराधों पर लगाम लगेगी।
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