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नवाज का आना: एक सकारात्मक पहल

  • Writer: शरद गोयल
    शरद गोयल
  • Jun 1, 2024
  • 3 min read

म्नोनीत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने सपथ गृहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमन्त्रित करके एक ऐसी पहल की है, जिससे दोनों देशों के सम्बन्धों में न केवल सम्बन्ध सुधारने की दिशा के सम्बन्धों में न केवल सम्बन्ध सुधारने की दिशा में अच्छा कदम बताया जा रहा है अपितु इस प्रयास के दूरगामी और सकारात्मक नतीजे सामने आने की संभावना है, दूसरी और मियां नवाज शरीफ ने न्यौते को स्वीकार करके भी एक सकारात्मक सोच का व दरियदिली और संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर एक नयी सोच का समर्थन किया है हालांकि पाकिस्तान के कट्टर पंथी नेता यह कभी नही चाहते कि दोनों देशों के सम्बन्ध सुधार के बारे में कोई प्रयास किया जाये लेकिन उनके विरोध के बाद भी नवाज शरीफ ने एक ऐसा कदम उठाया कि जो कविले तारीफ हैं।            

               हालांकि नरेन्द्र मोदी जी का यह प्रयास भारत-पाक सम्बन्धों से ज्यादा शार्क देशों में अच्छे सम्बन्धों की दिशा में ज्यादा माना जा रहा है हिन्दुस्तान समेत उन आठ देश हैं, जिनमें बंग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, श्रीलंका, नेपाल अफगानिस्तान, मालदीव हैं, और मोदी जी की हमेशा यह सोच रही है कि यदि शार्क देशा में आपस में अच्छा सम्बन्ध व एकता होगी तो विश्व की बड़ी महाशक्तियों पर न केवल भारत की बल्कि पूरे न दक्षिण एशिया का प्रभाव बढ़ एकता हैंः 

               1985 में शार्क का गठन किया गया था और पहला सम्मेलन ढाका में हुआ था लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आज लगभग 30 साल बाद भी शार्क संगठन का विश्व शार्क संगठन का विश्व के विकसित देशों और एशिया के अन्य बड़े देशों पर भी कोई प्रभाव नहीं हैं, वही दूसरी तरफ यूरोपीयन देशों व अमेरिकन देशों के इस प्रकार के संगठनों का पूरे विश्व में प्रभाव है, जहां तक सवाल यूरोपियन देशों का हो वहां तो यूरोपियन संघ की मुद्रा भी एक ही है और आपस में एक दूसरे देशों में जाने के लिये वीजा की आवश्यकता नहीं होती आज यू एन ओं ने भी यूरोपियन संगठन को गम्भीरता से किया जाता है। इसी प्रकार पेट्रोलियम उत्पादक देशों ने भी अपना एक अलग संगठन ‘‘ओपिक’’ के नाम से बनाया है, जिसमें लगभग सभी तेल निर्यातक देश है और विश्व में उनके द्वारा लिये गये निर्णयों का प्रभाव रहता है, यदि इसी भांति कल्पना करे कि इसी प्रकार शार्क देशों मंे आपस में सौहाद समन्वय बन जाये और सभी शार्क सदस्य देश एक दूसरे के हितों की रक्षा ही ना करें बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का लाभी उठायें और बाहरी चुनौतियों का सामना करें, तो शार्क भी अन्य यूरोपियन व अमेरिकन संगठनों से एक प्रभावशाली समूह के रूप में उभर कर आयेगा, 1985 के बाद पहली बार किसी प्रधान मंत्री ने इस प्रकार का प्रयास किया और सभी देशों में आने की स्वीकृति देकर उस प्रयास का समर्थन किया है, हालांकि श्रीलंका के राष्ट्रपति को बुलावे को लेकर दक्षिण के कुछ राज्यों ने अपना विरोध दर्ज कराया है लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि उन राजनितिक दलों को भी इस प्रयास की सराहना करनी चाहिये, और इसको न केवल भारत श्रीलंका सम्बन्धों तक सोचकर सम्पूर्ण शार्क क्षेत्र के विकास की आर्थिक व सामाजिक विकास की पहल करेंः

               इसी प्रकार भारत पाक सम्बन्धों की चर्चा करें तो हम पाकिस्तान से 1947, 1965, 1971 व 1999 में चार बार युद्ध करने के बाद भी हमें यह समझ में नहीं आया कि युद्ध करके नतीजा सिर्फ और सिर्फ विनाश ही होता हैः चाहे वह भारत के नागरिकों का हो या पाकिस्तान के नागरिकों हो दोनों में से किसी भी देश को कुछ हासिल नहीं हुआ है, और ना ही होगा।

               भारतीय संस्कृति में पड़ोसी को बहुत मान और सम्मान का दर्जा दिया गया है, इसी प्रकार भारत के सभी पड़ोसी देशों को भी इसी सोच का समर्थना करके आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिये। 


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