राहुल का बचपना
- शरद गोयल
- Mar 5, 2024
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Updated: May 30
कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी द्वारा हाल ही मंे मुजफ्फर नगर के दंगांे के उपर एक चुनाव रैली मंे बयान देकर ना केवल मात्र सनसनी फैला दी है, अपितु देष के बारे में सोच रखने और चिन्तर करने वाले व्यक्तियांे के दिमाग में एक खलबली पैदा कर दी है कि क्या वाकई देष की खुफिया एजेन्सियां और उनके अधिकारी श्री राहुल गांधी जी को देष की खुफिया सूचनायें देती हैं, यदि देती है, तो उनकी किस हैसियत से यह सूचनायें दी जा रही है, एक ऐसे व्यक्ति को इतनी गम्भीर सूचनायंे देना जिसमंे इस सोच की भी कमी हो कि क्या यह सूचना जन साधारण के सामने उजागर करने की है या नहीं, इसको उजागर करने से आपकी सरकार और पार्टी को कितनी फजीहत झेलनी पड़ेगी, राहुल गांधी को यदि देष के सूचना तन्त्र खुफिया सूचनायें प्रदान करती हैं तो यह वाकई एक गम्भीर विषय है, क्यांेकि यह पहली घटना नहीं, जब राहुल गांधी ने अपने किसी बयान के माध्यम से अपरिपक्वता का उदाहरण किया है। इससे पूर्व भी इनकी कार्यषैली और बयानांे पर उनकी पार्टी फजीहत झेलनी रहती है, फिर चाहे भ्रष्ट नेताआंे को बचाने के लिये उनकी सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेष की वापसी का मामला हो या उत्तरप्रदेष के भाषण के दौरान मंच पर बैठे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताआंे के नाम वाली सूची को फाड़ने का मामला हो, लेकिन इस बयान से जो सूचना उन्हांेने जनसाधारण को दी यदि वह उस सूचना के प्रति गम्भीर थे तो उसी समय उन्हंे देष के गृहमंत्री से इस विषय पर बात करनी थी, बजाय इसके कि हजारांे लोगांे के बीच सनसनी फैलाने के, अतीत मंे भी ऐसे बहुत से मौके हुये, जिनमंे राहुल गांधी ने अपने बचपने का अहसास देषवासियांे को दिलाया, बेहतर होगा कि वह भविष्य मंे बोलने से पहले अपने से अधिक अनुभवी नेताआंे से सलाह करके बोले, खास तौर से जब वह किसी महत्वपूर्ण व संवेदनषील विषय पर बोल रहे हो, क्यांेकि राहुल गांधी का बचपना व उनकी अपरिपक्वता देष के लिये खतरा ना बन जाये।
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